Yellow seromosaic disease of okra, symptoms and management || भिंडी का पीला सेरोमोज़ेक रोग, लक्षण और प्रबंधन
भिंडी का पीत सिरामोजेक रोग, लक्षण एवं प्रबंधन
यह एक वायरल बीमारी है, जो भिंडी के पौधे को प्रभावित करने वाले, बेगोमोवायरस के कारण फैलती हैl भिंडी का पीत सिर मोजेक रोग यदि बुवाई के 35 दिन के अंदर विषाणु का संक्रमण हो जाए तो फसल उत्पादन में 94% तक हानि हो सकती है और यदि 50 दिन पर संक्रमण होता है तो 84% तक हानि हो सकती है। सोयाबीन और उड़द की फसलों में यह रोग ज्यादा दिखाई देता है। आज हम इस लेख में भिंडी के पीत सिरा मोजेक रोग के लक्षण और उसके , प्रबंधन के बारे में जानेंगे।
लक्षण:-
रोग ग्रस्त पौधों की पत्तियों पर पीली, शिराओं का जाल बन जाता है, और शिराएं मोटी हो जाती है उग्र अवस्था में पूरी पत्ती पीली हो जाती है क्लोरोफिल नस्ट होने के कारण प्रकाश संश्लेषण की क्रिया धीमी हो जाती है फल छोटे तथा पीले होते हैं।
इसका रोग कारक भिंडी पित सिरा मोजेक विषाणु है।
इस वायरस में अनुवांशिक पदार्थ डीएनए पाया जाता है। तथा इस वायरस का संचरण सफेद मक्खी के द्वारा होता है।
प्रबंधन:-
शस्य प्रबंधन:-
खेतों में उपस्थित खरपतवार वह रोगी पौधों को उखाड़ कर जला देना या नष्ट कर देना चाहिए।
सर्वांगीण उपार्जित प्रतिरोधकता को प्रेरित करने वाले रसायन जैसे सैलिसिलिक अमल, का फसल पर छिड़काव कर के , रोग प्रतिरोधकता को बड़ा कर रोग का नियंत्रण किया जा सकता है ।
रसायनिक प्रबंधनन:-
रोग वाहक सफेद मक्खी की रोकथाम हेतु इथाइल डीमेटोन क 10-15 दिन के अंतराल पर छिड़काव करना चाहिए।
जैविक प्रबंधन:-
इस रोग के नियंत्रण हेतु नीम का तेल या नीम की निंबोली का सत ,छिड़काव करना चाहिए।
रोग प्रतिरोधकता वाली किस्म का उपयोग करना चाहिए।

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